तालिबान ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की महिलाओं और कर्मचारियों को हिजाब पहनने का आदेश दिया है। एक खबर के अनुसार यह आदेश नैतिक गुण और किसी खतरे के अंदेशा से निपटने के लिए दिया गया था। मंत्रालय के तालिबान अधिकारियों के एक समूह ने यूएन के एक बयान में संकेत दिया है कि महिला कर्मचारियों जब काम करने के लिए रिपोर्ट करें, उस वक्त ध्यान दिया जाए कि वे हिजाब पहनी हैं या नहीं। बयान के अनुसार मंत्रालय के कर्मचारी यूएन ऑफिस के बाहर भी खड़े रहेंगे। ताकि यह जांच किया जा सके कि महिलाओं ने हिजाब पहना है या नहीं।
तालिबानी अधिकारियों के बयान में कहा गया कि यूएन कार्यालय की किसी महिला कर्मचारी को हिजाब के बिना देखा जाता है, तो वे उन्हें आग्रह करते हुए समझाएंगे कि हिजाब को बाहर निकलने पर पहना जाता है। इसके अलावा मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र भवन के बाहर एक बैनर भी लगाया है, जिसमें यह लिखा है कि महिलाओं को हिजाब पहनना जरूरी है। बुर्का पहनने के फायदे को भी उसमें बताया गया है। मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही यह आदेश दिया है. आदेश के अनुसार कहा गया है कि चदारी या बुर्का भी महिला पहन सकती हैं।
तालिबान का कहना है कि महिलाओं के कपड़े के लिए नया नियम एक सलाह की तरह है। इसमें अगर अफगानिस्तान की महिला भी यूएन में काम करती है, तो सारे नियम मानने होंगे। यूएन में काम करनेवाली महिलाओं के लिए इस नियम को अनिवार्य कर दिया गया है। तालिबान प्रतिबंधों के बावजूद बीएआरआर ने यूएन को यह बताने को कहा कि साथ काम कर रहे सहयोगियों से महिलाएं कैसे सुरक्षित रहेंगी। बीएआरआर ने बिलबोर्ड की एक तस्वीर साझा की, जिसमें हिजाब के उदाहरण शामिल है, जैसे कि एक काले रंग का स्तर डाला हुआ नकाब और नीला बुर्का (चदारी) को भी दिखाया गया है।
इस्लाम में हिजाब पहनने को लेकर एक विधिशास्त्री ने बताया कि इस्लाम की पाक किताब कुरान और हदीस में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को बुरी नजरों से बचना है। महिलाओं को सीधे किसी पुरुष को देखने पर मनाही है। सिर के बाल को ढंकना भी जरूरी बताया गया है। वहीं यह भी कहा गया है कि अगर महिलाओं को कोई समस्या आती है, तो उसके लिए एक दुपट्टा भी बाल ढंकने के लिए काफी है। लेकिन बाल पूरी तरह से और अच्छी तरह से ढंका हो।
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