नई दिल्ली। अक्सर देखा गया कि किसी भी तरह का दर्द होने पर लोग तुरंत दर्द निवारक दवा या पेनकिलर ले लेते हैं। बार-बार पेन किलर का इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अब भले ही सिरदर्द हो, माइग्रेन हो या कमर दर्द, कोशिश यही की जानी चाहिए कि घर में मौजूद प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर इस दर्द से छुटकारा पाया जाए। किचन में ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो कि दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
हल्दी: हल्दी एक चमत्कारिक मसाला है जो कि बदन दर्द, जोड़ों के दर्द आदि में राहत देता है। डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला का कहना है कि इसमें भरपूर मात्रा में एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इस दर्द निवारक औषधि का इस्तेमाल ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड अर्थराइटिस, गठिया, मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है।
चेरी: चेरी में थायमीन, राइबोफ्लैविन, विटामिन बी6 और पैटोथेनिक एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है। इसमें नायसिन, फोलेट और विटामिन ए भी होता है। यही नहीं चेरी में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी दिक्कतों को दूर करने में मदद करते हैं। मैग्नीशियम प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में काम करता है और पोटेशियम सूजन दूर करता है. बदन दर्द को दूर रखने के लिए नियमित रूप से चेरी का सेवन करें।
पुदीना: प्राकृतिक पेन किलर के रूप में पुदीना बड़े काम का हो सकता है। पुदीना हर तरह के दर्द के लिए प्रभावी होता है लेकिन विशेष रूप से पेट दर्द के लिए काफी असरकारक है। यह पाचन में मदद करता है और इससे मांसपेशियों के दर्द, सिरदर्द और दांत दर्द में राहत मिलती है।
अदरक: अदरक का सेवन शारीरिक दर्द ही नहीं बल्कि सूजन में भी राहत पहुंचाता है। इसमें प्राकृतिक रूप से मौजूद एनाल्जेसिक दर्द निवारक होता है। यह गले के दर्द और खराश को दूर करने में मदद करता है। यही नहीं पीरियड्स में इनका सेवन ऐंठन और मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करता है।
लाल मिर्च: लाल मिर्च में मौजूद कैप्सेकिन तत्व दर्द निवारक गुणों से भरपूर होता है और दवाओं से ज्यादा असरदार होता है। डॉ. लक्ष्मीदत्त शुक्ला का कहना है कि लाल मिर्च का पेस्ट लगाने या कैप्सूल के सेवन से जोड़ों के दर्द और सूजन के कारण हो रहे नसों में दर्द में कमी होती है। आयुर्वेद में इसका उपयोग सिरदर्द से राहत पाने में भी किया जाता है।
कद्दू के बीज:पेपिटास मैग्नीशियम का एक बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक ऐसा मिनरल जो माइग्रेन में राहत देता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने और इलाज में भी मदद कर सकता है। यह रात में पैर की ऐंठन को रोकने में भी सहायक है।
फिश: मछलियों में मौजूद ओमेगा-3 फैट सूजन से होने वाले दर्द में बचाव के लिए मददगार साबित होता है। ओमेगा-3 फैट सैल्मन मछली में पाया जाता है। इस मछली के सेवन से गठिया में होने वाले सूजन को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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