मथुरा। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने शिवसेना का दामन थाम लिया। उन्होंने मुंबई से अपना गहरा रिश्ता बताया। कांग्रेस पार्टी में उनका अपमान करने वालों को कई महीने तक निलंबित रहने के बाद बहाल कर दिये जाने को उन्होंने पार्टी छोड़ने का बहाना बताया। इस बारे में मथुरा के लोगों का कहना है कि प्रियंका यहां के चतुर्वेदी समाज के एक गुट से संबंधित हैं। वह टिकट चाहती थीं मगर उनको टिकट न देकर उनके सीए पिता के विरोधी महेश पाठक को कांग्रेस ने उम्मीदवार बना दिया। इससे वह दुखी थीं, इसी दौरान प्रियंका की सिफारिश पर निलंबित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के माफी मांगने पर वापस ले लिया गया,जिसने आग में घी का काम किया। विरोध में प्रियंका ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और ट्विटर पर मथुरा की घटना को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर की।
राफेल घोटाले को लेकर मथुरा में प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रेस कांफ्रेंस की थी जिसमें कांग्रेस पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने प्रियंका का विरोध किया था। प्रियंका ने इसको लेकर पार्टी हाईकमान को चिट्ठी लिखी, जिस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था मगर उन्होंने महासचिव एवं प्रभारी माधवराव सिंधिया के समक्ष अपने व्यवहार पर खेद जताया और पार्टी के संस्कारों में व्यवहार करने की शपथ ली जिस पर उनको पार्टी में वापस ले लिया गया। प्रियंका ने इस पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया था कि कांग्रेस के लिए अपना खून-पसीना एक करने वालों के स्थान पर कुछ लंपट आचरण करने वालों को तरजीह मिल रही है।
मथुरा के जानकार लोग बताते हैं कि प्रियंका कांग्रेसी परिवार से उनके पिता पुरुषोत्तम चतुर्वेदी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और चौबच्चा मौहल्ला निवासी हैं। मथुरा की घटना के कारण पार्टी छोड़ने से पहले ही वह कुछ अन्य कारणोंवश पार्टी से नाराज चल रही थीं। प्रियंका मुखरता से पार्टी का पक्ष लेती थीं और उन्हें इस चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी। उनका नाम भी टिकटार्थियों की लिस्ट में शामिल था। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर प्रियंका चतुर्वेदी ने अलग पहचान बनाई। वह मीडिया चैनल्स और सार्वजनिक मंचों पर बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी का मुखर चेहरा बनकर उभरी थीं। कांग्रेस में उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद भी दिया गया। कई बार उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के साथ भी मंच साझा किया। हाल ही में उन्होंने स्मृति ईरानी के हलफनामे में डिग्री विवाद पर ताना कसते हुए स्मृति के ही लोकप्रिय सीरियल का गाना गाया था, जिसकी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई।
मथुरा और चतुर्वेदी समुदाय में ”लाला” के नाम से मशहूर प्रियंका चतुर्वेदी के पिता पुरुषोत्तम चतुर्वेदी कुछ समय पहले तक चतुर्वेदी समाज की पत्रिका के संपादक भी हुआ करते थे।
किन्हीं कारणोंवश उनका विवाद माथुर चतुर्वेद परिषद के संरक्षक महेश चतुर्वेदी यानि महेश पाठक से हुआ। महेश उद्योगपति हैं जिन्हें कांग्रेस ने इस बार मथुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाया है। इस विवाद के बाद प्रियंका के पिता को समाज की पत्रिका के संपादक पद से मुक्त कर दिया गया था। महेश का नाम मथुरा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में घोषित होने के पहले तक प्रियंका चतुर्वेदी का नाम काफी आगे चल रहा था। ऐन वक्त पर महेश पाठक को टिकट दे दिया गया जिससे उन्हें धक्का लगा। मथुरा कांग्रेस भी काफी लंबे समय से गुटबाजी का शिकार है। मथुरा में एकगुट पूर्व विधायक प्रदीप माथुर का है और दूसरा उन्हें पसंद न करने वाले कांग्रेसियों का। इस गुट में महेश पाठक भी बताए जाते हैं। जाहिर है ऐसे में प्रदीप माथुर गुट को तरजीह देने वाली प्रियंका चतुर्वेदी को महेश पाठक की उम्मीदवारी रास नहीं आई।
प्रियंका चतुर्वेदी जिस विवाद का हवाला देकर कांग्रेस में गुंडों को महत्व देने की बात कर रही हैं, वो उस प्रेस कांफ्रेंस से ताल्लुक रखता है जिसे उन्होंने प्रदीप माथुर के साथ स्थानीय एक होटल में बुलाया था। यहीं गुटबाजी के चलते प्रियंका चतुर्वेदी से कथित तौर पर अभद्रता की गई थी। पुरानी हो चुकी अभद्रता की घटना में शामिल लोगों का मतदान से ठीक तीन दिन पहले निलंबन वापस ले लिया गया। जिससे उन्होंने भी वोटिंग के एक दिन पहले ही कांग्रेस से अलग होने का फैसला कर लिया।
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