ऐसी महिलाओं की कोई कमी नहीं है, जिनके पास न सिर छिपाने की जगह है, खाने को भोजन। उनका कोई अपना भी उनके साथ नहीं है। ऐसी महिलाएं या तो सड़कों पर रात गुजारने के लिए मजबूर हैं या दर-दर की ठोकर खाने के लिए। ऐसी बेसहारा महिलाओं को आश्रय और सुरक्षा देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से स्वाधार गृह योजना चलाई जा रही है। इसकी मदद से बेसहारा महिलाओं को आश्रय, खाद्य, वस्त्र, उचित सलाह, प्रशिक्षण, एवं कानूनी सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उनका संरक्षण एवं पुनर्वास किया जा सके।
योजना : स्वाधार गृह योजना , भारत सरकार
योजना का मकसद : आश्रयहीन महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्त्र आदि उपलब्ध कराना।
योजना का उद्देश्य
बेसहारा महिलाओं को आश्रय, भोजन, वस्त्र, चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करना।
महिलाओं को भावनात्मक रूप से सुदृढ़ बनाना।
महिलाओं को उनके परिवार में लौटने के लिए कानूनी मदद उपलब्ध करना।
बेसहारा महिलाओं को आर्थिक और भावनात्मक रुप से मजबूत करना।
महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना।
बेसहारा महिलाओं को आत्मसम्मान एवं दृढ़तापूर्वक जीने के लिए प्रेरित करना एवं सक्षम बनना।
क्या है योजना
योजना संस्थागत ढांचे का निर्माण करके बेसहारा महिलाओं को अस्थायी आश्रय प्रदान करती है और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करती है।
किन्हें मिलती है सुविधा
ऐसी महिलाएं जो सामाजिक रूप से बहिष्कृत और आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
ऐसी महिलाएं जिन्हें परिवार ने खुद से अलग कर दिया गया हो।
आपदा से पीड़ित महिलाएं।
ऐसी महिलाएं जो किसी अपराध के लिए जेल से सजा पूरी कर लौटी हों। जिनका कोई आवास या परिवार न हो।
वेश्यावृति और मानव तस्करी की शिकार महिलाएं।
ऐसी महिलाएं जो एचआईवी से पीड़ित हैं।
कब तक मिलेगा लाभ
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं एक साल तक ठहर सकती हैं।
अन्य श्रेणियों में महिलाएं तीन साल तक स्वधार गृह में रह सकती हैं।
55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं 60 वर्ष तक स्वाधार गृह में रह सकती हैं, उसके बाद उन्हें वृद्धा आश्रम भेज दिया जाता है।
मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को स्वाधारगृह में नहीं रखा जा सकता है।
यदि महिला की संतानों में पुत्रियां भी हैं, तो पुत्री 18 वर्ष की उम्र पूरी करने तक मां के साथ रह सकती है। यदि पुत्र है तो वह 12 वर्ष की उम्र पूरी करने तक मां के साथ रह सकता है।
मिलने वाली सुविधाएं
अस्थायी निवास, आवश्यक सामान जैसे खाना, कपड़े, मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध करना।
व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं कौशल विकास करना।
काउंसलिंग, जागरुक एवं स्किल विकास करना जिससे वे अर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकें।
लीगल सलाह और मार्गदर्शन उपलब्धता।
इस योजना का मकसद बेसहारा, पीड़ित महिलाओं की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना है। जिससे वे आत्म सम्मान और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर वापस समाज में लौट सकें।
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