
यूनिक समय, नई दिल्ली। शब-ए-बारात, मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण रात है, जिसे इबादत, रहमत और मगफिरत की रात माना जाता है। इस रात में मुसलमान अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अपने भविष्य के लिए दुआएं करते हैं।
इस साल, 2025 में, शब-ए-बारात 13 फरवरी को मनाई जाएगी। यह रात इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने, शाबान की 15वीं रात होती है।
शब-ए-बारात अरबी भाषा का शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द ‘शब’ है, जिसका अर्थ रात होता है, जबकि ‘बारात’ का अर्थ क्षमा होता है। इस तरह से इसे माफी की रात भी कहा जा सकता है। इसीलिए लोग रात भर इबादत करते हैं शब-ए-बारात गुरुवार शाम को मगरिब की अजान होने के साथ मुसलमान मनाना शुरू कर देते हैं। पूरी रात अल्लाह की इबादत करते हैं और शुक्रवार को शाबान का रोजा रखते हैं।
इसे तकदीर बदलने वाली रात भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस रात में अल्लाह अपने बंदों के लिए अपनी रहमत के दरवाजे खोल देते हैं और उनकी दुआएं कुबूल करते हैं। इस रात में मुसलमान नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं, और अपने गुनाहों के लिए तौबा करते हैं। वे अपने पुरखों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआएं भी करते हैं। यह एक मुबारक रात है, जिसे हमें इबादत और दुआओं में गुजारना चाहिए। इस रात में हमें अपने गुनाहों पर शर्मिंदा होकर अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए और अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए दुआएं करनी चाहिए।
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