
यूनिक समय, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में होलाष्टक की अवधि बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो होली से ठीक आठ दिन पहले शुरू होता है। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है और विशेष ध्यान धार्मिक कार्यों पर दिया जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 7 मार्च से शुरू हो रहे है और इसका समापन 13 मार्च को होलिका दहन के दिन होगा।
होलाष्टक के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है, ताकि इसके अशुभ प्रभाव से बचा जा सके।
होलाष्टक के दौरान ध्यान देने योग्य कुछ विशेष बातें –
- शुभ कार्यों से बचें: होलाष्टक में विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश जैसी शुभ कार्यों को टालना चाहिए।
- बाल और नाखून काटने से बचें: इस दौरान बाल और नाखून काटना वर्जित माना जाता है।
- धार्मिक कार्यों में व्यस्त रहें: इस काल में भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवद गीता का पाठ करें और हवन आदि पुण्य कार्य करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन: ब्रह्मचर्य का पालन करे और तामसिक भोजन से परहेज करें, जैसे लहसुन, प्याज, अंडा, मांस आदि।
- दान और सेवा: इस समय जरूरतमंदों को पुराने कपड़े, चप्पलें आदि दान करें और घर-मंदिर की सफाई में जुटें।
- विवाद से बचें: इस दौरान किसी भी तरह के विवाद से बचने की सलाह दी जाती है।
होली से पहले का यह समय विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति का है, जहां व्यक्ति को अपने मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। इसलिए, होलाष्टक के दौरान ध्यानपूर्वक और सयंमित रहकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सकता है।
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