जीएलए में सोशल साइंस शोध के क्षेत्र में चुनौती और अवसरों पर मंथन

यूनिक समय, मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय में इंडियन कॉउंसिल आॅफ सोशल साइंस रिसर्च-एनआरसी द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईआईटी, बीएसएनएल, निप्पोन पेंट्स, एलपीयू, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, राजीव एकेडमी, सीआईएस इंटरनेशनल स्कूल, वीआईपीएस आदि समेत विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी संस्थानों से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों, शोधार्थियों और शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया।

ह्णनर्चरिंग एक्सीलेंस इन सोशल साइंस रिसर्च-एम्पॉवरिंग ह्यूमन कैपिटल फॉर सस्टेनेबल इंडियन ग्रोथ विषय पर आधारित इस कार्यशाला में बतौर विषय विशेषज्ञ संबोधित करते हुए जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के निदेशक-रिसर्च सैल प्रो. सचिन मंगला ने शोध कार्यों को बढ़ावा देने में आईसीएसएसआर व अन्य संस्थाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही रिसर्च ग्रांट हेतु आवेदन करने से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।

रिलायंस इंडस्ट्रीज संग बतौर वरिष्ठ महाप्रबंधक जुड़े डा. सतवीर सिंह ने शोध कार्यों के दौरान प्रयुक्त होने वाली तकनीकों पर चर्चा की। उन्होंने एमसीडीएम तकनीक पर प्रकाश डाला। आईओसीएल के मानव संसाधन प्रबन्धक नीरज जैसवाल ने सोशल साइंस रिसर्च के क्षेत्र में चुनौतियों और नवीन अवसरों से सभी को रूबरू कराया।

जीएलए विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय निदेशक प्रो. अनुराग सिंह ने ट्रांसलेटिंग रिसर्च इनटू एक्शन विषय पर व्याख्यान दिया। कहा कि विभिन्न क्षेत्रों व कार्यों में रिसर्च के महत्व को समझाया। विश्वविद्यालय के एसोसिएट डीन रिसर्च प्रो. कुशाग्र कुलश्रेष्ठ ने अंत विषय और सहयोगात्मक अनुसंधान पर विभिन्न समसामयिक उदाहरणों संग चर्चा की। संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर व अकेडमिक एरिया चेयर फाइनेंस डा. अंकित सक्सेना ने शोध कार्यों में नैतिकता एवं नैतिक व्यवहार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

प्रथम दिन शुभारंभ सत्र के दौरान स्वागत उद्बोधन व विषय प्रवर्तन का कार्य कार्यशाला की संयोजक एसोसिएट प्रोफेसर डा. सुचेता अग्रवाल ने किया। सत्रांत धन्यवाद ज्ञापन डा. अनीसिया शर्मा व अवनीश शर्मा किया।

कार्यशाला में अध्यक्ष प्रो. अनुराग सिंह, सह-अध्यक्ष प्रो. उत्कल खण्डेलवाल, सह-संयोजक प्रो. विवेक अग्रवाल, प्रो. जितेंद्र कुमार दीक्षित व ब् समन्वयक डा. शिवम भारद्वाज, डा. सुनील कुमार, डा. सागर वार्ष्णेय ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया।

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