
यूनिक समय, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक का आरंभ होता है। इस बार होलाष्टक आज, शुक्रवार से शुरू हो चुका है और यह 13 मार्च यानि होलिका दहन तक रहेगा। इस दौरान विवाह, नामकरण, जनेऊ, भूमि पूजन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी।
होलाष्टक की सनातन परंपरा के अनुसार, यह आठ दिन का समय विशेष रूप से अशुभ माना जाता है। यह समय उस समय को याद करता है जब भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने अनेकों यातनाएं दी थीं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही प्रह्लाद को बंदी बना लिया गया था और उसे मारने के लिए विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी गईं।
इस समय के दौरान कोई भी नए कार्य, जैसे शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश या व्यापार की शुरुआत वर्जित मानी जाती है। होलाष्टक की समाप्ति 13 मार्च को होगी, जब होलिका दहन का आयोजन होगा और होली का पर्व मनाया जाएगा। कुल मिलाकर, इस समय को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है और सभी धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए इसे मनाना महत्वपूर्ण होता है।
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