चिड़ियाघर में 18 साल बाद रॉयल बंगाल टाइगर ने दिया पांच शावकों को जन्म

दिल्ली नेशनल जू में 18 साल बाद रॉयल बंगाल टाइगर ने पांच शावकों को जन्म दिया है। सिद्धि नाम की बाघिन ने बीते 4 मई को शावकों को जन्म दिया। दो शावक जीवित हैं और पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। तीन शावक मृत पैदा हुए थे। जू डायरेक्टर आकांक्षा महाजन ने बताया कि शावकों को सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा गया है। चिड़ियाघर के कर्मचारी व एक्सपर्ट लगातार उनकी देखभाल व मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इन नन्हें बाघों के चिड़ियाघर में पैदा होने के बाद रॉयल बंगाल टाइगर्स की संख्या 6 हो चुकी है। जबकि सफेद बाघ पांच हैं।

चिड़ियाघर की डायरेक्टर आकांक्षा महाजन ने बताया कि 18 साल बाद दिल्ली के चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर के शावकों का जन्म हुआ है। 4 मई को बाघिन सिद्धि के लिए पांच बाघ शावकों का जन्म हुआ था। तीन मृत पैदा हुए थे, दो जीवित और स्वस्थ हैं। महाजन के अनुसार, 16 जनवरी 2005 के बाद पहली बार एक रॉयल बंगाल बाघिन चिड़ियाघर में शावकों को जन्म दे रही है।

चिड़ियाघर की निदेशक आकांक्षा महाजन ने बताया कि छह साल की बाघिन दोनों शावकों की देखभाल और पालन-पोषण कर रही है। सीसीटीवी कैमरों से शावकों और बाघिन पर नजर रखी जा रही है। दिल्ली चिड़ियाघर बाघों के संरक्षण प्रजनन के लिए जाना जाता है। यहां बाघों की अच्छी ब्रीडिंग हुई है। देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों में यहां के बाघों को प्रजनन के बाद भेजा जा चुका है। चिड़ियाघर में चार वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर हैं  करण, सिद्धि, अदिति और बरखा। जबकि दो बाघिन – सिद्धि और अदिति – जंगली मूल की हैं। इन्हें नागपुर के गोरेवाड़ा चिड़ियाघर से लाया गया था। पिछले साल सात साल के अंतराल के बाद अगस्त में दिल्ली चिड़ियाघर में सफेद बाघ के तीन शावकों का जन्म हुआ था। इसमें एक शावक नहीं बच पाया। दो अन्य अवनि और व्योम को बाड़े में छोड़ दिया गया है। अब वह सार्वजनिक रूप से देखे जाते हैं।

दिल्ली के चिड़ियाघर में अभी छह रॉयल बंगाल टाइगर हैं। जबकि पांच सफेद बाघ भी हैं। यहां बाघों की कुल संख्या फिलहाल 11 है। दिल्ली के नेशनल जू का उद्घाटन 1959 में किया गया था। उद्घाटन के बाद से ही यहां बाघों का आवास रहा है। 14 मई 1969 को जूनागढ़ चिड़ियाघर से यहां शेरों का पहला जोड़ा आया था जोकि एक जोड़ी यहां के बाघ शावकों के बदले मिला था। यहां के बाघों की अच्छी ब्रीडिंग की वजह से देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों में बाघों को बदला जाता है।

 

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